संस्थाओं के लिए नजरिए का महत्त्व THE IMPORTANCE OF ATTITUDE TO ORGANISATIONS


क्या आपको कभी इस बात पर हैरानी हुई है कि कुछ लोग, संस्थाएं या देश दूसरों के मुकाबले अधिक कामयाब क्यों होते हैं? इसमें कोई राज नहीं छिपा है। वे इसलिए कामयाब होते हैं कि वे दूसरों के मुकाबले अधिक असरदार ढंग से सोचते और काम करते हैं। वे अपनी सबसे क़ीमती जायदाद, यानी लोगों में निवेश (invest) करते हैं।


मैंने दुनिया की कई बड़ी कार्पोरेशनों के आला अफसरों (Executives) से बात की, और उनसे पूछा "अगर आपके पास जादू की छड़ी हो, और आपको केवल एक ऐसी चीज बदलनी हो, जिससे आपको तरक्की मिल जाए, साथ ही उत्पादकता (productivity) और लाभ भी बढ़ जाए तो आप किस चीज को बदलना चाहेंगे?" सबका जवाब एक ही था। उनका कहना था कि वे अपने लोगों का नज़रिया बदलना चाहेंगे। नज़रिया बेहतर होने पर लोगों में टीमभावना बढ़ेगी, लालाच कम होगी, और वे ज्यादा वफ़ादार हो जाएंगे। कुल मिला कर उनकी कंपनी में काम करने का बेहतर माहौल बन जाएगा।


तजरबा बताता है कि किसी भी व्यापार की सबसे क़ीमती पूँजी उससे जुड़े। लोग होते हैं। पूँजी या औजारों से लोगों की कीमत अधिक होती है। बदकिस्मती से सबसे ज्यादा मानव संसाधन (Human resource) ही व्यर्थ या बेकार चला जाता है। लोग आपकी सबसे बड़ी संपत्ति बन सकते हैं, या सबसे बड़ा बोझ भी बन सकते हैं।











टीक्यूपी- सारी ख़ूबियों वाले लोग TOP-TOTAL QUALITY PEOPLE


बहुत सारे ट्रेनिंग प्रोग्राम जैसे कि कस्टमर सर्विस (customer service), सेलिंग स्किल्स (selling skills) और स्टेटेजिक प्लानिंग (strategic planning) के बाद में इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि इनमें से ज्यादातर कार्यक्रम काफी अच्छे होते हैं, लेकिन इनके सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है। इनमें से कोई भी तब तकक़ामयाब नहीं हो सकता, जा तक उनका नजरिए  ठीक नहीं होगा।

तक उनकी बुनियाद सही न हो और वह सही बुनियाद है टी क्यू पी। यह टी क्यू पी क्या है? इसका मतलब है - टोटल क्वालिटी पीपल (Total Quality People), यानी सारी खुबियों से भरे लोग यानी वे लोग जो अच्छे चरित्र वाले ईमानदार नैतिक मूल्यों और सकरात्मक नजरिए (positive attitude) वाले लोग होते हैं।


मुझे गलत न समझें। आपको दूसरे सारे प्रोग्रामों की ज़रूरत है लेकिन वे तभी सफल होंगे, जब आपकी नींव सही होगी और वह नींव है - टी क्यू पी । उदाहरण के तौर पर कुछ ग्राहक सेवा कार्यक्रमों (customer service programmes) में हिस्सेदारी करने वालों को "प्लीज" या "थैंक यू" कहना, मुस्कराना और हाथ मिलाना सिखाया जाता है; लेकिन किसी आदमी में सेवा करने का जज्बा ही न हो, तो वह कब तक मुस्करा सकता है? इसके अलावा लोग नकली मुस्कान को पहचान जाते हैं और अगर मुस्कान सच्ची न हो, तो उसे देख कर चिढ़ पैदा होती है। मेरा कहना यह है कि असलियत को दिखावे पर हावी होना चाहिए, न कि दिखावों पर असलियत  बेशक, ग्राहकों से पेश आने वाले लोगों को "प्लीज" और "थैंक यू” कहना चाहिए, और मुस्कराना चाहिए। ये बातें महत्त्वपूर्ण हैं । लेकिन याद रखें कि अगर मन में सेवा करने की भावना हो, तो आम जिंदगी में ये बातें खुद-ब-खुद आसानी से शामिल हो जाते हैं।


एक बार एक आदमी मशहूर फ्रांसीसी दार्शनिक (Philosopher) ब्लेज़ पास्कल (Blaise Pascal) से मिला, और उनसे कहा- “अगर मेरे पास आपके जैसा दिमाग हो, तो मैं बेहतर इंसान बन जाऊँगा।" इस पर पास्कल ने जवाब दिया- “बेहतर इंसान बनो, तुम्हारा दिमाग खुद-ब-खुद मेरे जैसा हो जाएगा।"


महान संगठनों (organisations) को तनख़्वाहों या काम करने के हालात के पैमाने पर नहीं आँका जाता है। उन्हें भावना, नज़रिए और आपसी संबंधों के पैमानों पर आँका जाता है। जब कर्मचारी कहते हैं, “मैं यह काम नहीं कर सकता", तो इसके दो मायने हो सकते हैं या तो उनका मतलब है कि उन्हें वह काम करने का तरीका मालूम नहीं है, या फिर वे उस काम को करना नहीं चाहते हैं। अगर वे काम करने का तरीका नहीं जानते हैं, तो यह टेक्निकल ट्रेनिंग (technical training) का मुद्दा है, लेकिन अगर वे काम नहीं करना चाहते हैं, तो यह नजरिए से जुड़ा मुद्दा हो सकता है (उन्हें उस काम की परवाह नहीं है), या वह नैतिकता का मुद्दा हो सकता है (वे मानते हैं कि उन्हें वह काम नहीं करना चाहिए)।

और यादी वह उस कम को करेगा भी तो सही से कम नहीं कर सकता हैं। और हमे नुकशान का सामना करना पड़ सकता हैं ।



जिस तरह

कैलगेरी टॉवर (Calgary Tower) की ऊँचाई 190.8 मीटर है। उसका कुल सन 10,884 टन है उसमें से 6,349 टन (कुल वचन का लगभग 60 प्रतिशत 1 भाग) वतन जमीन के अंदर है। इससे जाहिर होता है कि भव्य दिखने वाली कई इमारतों की नींव काफी मजबूत होती है। जिस तरह किसी भव्य इमारत के टिके रहने के लिए उसकी नींव मजबूत होनी चाहिए, उसी तरह कामयाबी के टिके रहने के लिए भी मजबूत बुनियाद की जरूरत होती है और क़ामयाबी की बुनियाद होती है नज़रिया








 आपके नज़रिए को तय करने वाले कारक FACTORS THAT DETERMINE YOUR ATTITUDE


मैं आपसे कुछ सवाल पूछता हूँ हम नज़रिए के साथ ही जन्म लेते हैं, या उसे -


बड़ा होने पर विकसित करते हैं? हमारा नजरिया किन चीजों से बनता है? अगर माहौल की वजह से जिंदगी के बारे में आपका नजरिया नकारात्मक (negative) हो गया है, तो क्या आप उसे बदल सकते हैं?


दरअसल हमारे नज़रिए का ज्यादातर हिस्सा हमारी जिंदगी के शुरूआती सालों में ही बन जाता है। यह सच है कि हम अपने मिजाज की कुछ खासियतों (tendencies) के साथ पैदा होते हैं, लेकिन बाद में हमारा जो नज़रिया बनता है,







  उसे खास तौर से ये तीन


चीजें (factors) तय करती हैं-



1.माहौल (Environment)


2. तजरबा (Experience)


3. शिक्षा (Education)












इन्हें हम नजरिए के कड़ी' कह सकते हैं। अब इन तीनों पर नजर डालते
हैं-


1. माहौल (Environment)


माहौल में ये चीजें शामिल होती हैं -


-


घर - अच्छा या बुरा असर (Home-positive or negative influences) स्कूल – साथियों का दबाव (School-peer pressure)


काम मददगार, या जरूरत से अधिक नुक्ताचीनी करने वाला


सुपरवाइज़र (Work - supportive or over critical supervisor) मीडिया – टेलीविजन, अखबार, पत्रिकाएँ, रेडियो, फिल्में (Media -


television, newspaper, magazines, radio, movies)


सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (Cultural background)


धार्मिक पृष्ठभूमि (Religious background) परंपराएँ और मान्यताएँ (Traditions and beliefs)


 सामाजिक माहौल (Social environment)


राजनीतिक माहौल (Political environment)


ऊपर बताए गए सारे माहौल मिल कर हमारी तहज़ीब बनाते हैं। घर हो, संस्था हो, या देश हो - हर जगह की अपनी एक तहजीब होती है। उदाहरण के तौर पर, आप एक स्टोर में जाते हैं, तो वहाँ के मैनेजर से लेकर सेल्स क्लर्क (sales clerk) तक को विनम्र, मददगार, दोस्ताना और खुशमिजाज से भरा पाते हैं; फिर आप दूसरी दुकान में जाते हैं, तो वहाँ काम करने वालों को रूखा और बदतमीज़ पाते हैं।


आप एक घर में जाते हैं, तो वहाँ माँ-बाप और बच्चों को तमीजवाला, मिलनसार और दूसरों का ख़्याल रखने वाला पाते हैं, जबकि दूसरे घर में जाने पर हर आदमी को कुत्ते-बिल्लियों की तरह आपस में लड़ता पाते हैं। जिन देशों की सरकारों और राजनीतिक माहौल में ईमानदारी होती है, वहाँ के लोग भी आम तौर पर ईमानदार, कानून का पालन करने वाले और मददगार होते हैं। इसका उलटा भी उतना ही सही है। जिस तरह बेईमान और भ्रष्ट माहोल मैं एक ईमानदार आदमी का जीना मुश्किल हो जाता है, उसी तरह ईमानदारी से भरे माहौल में बेईमान व्यक्ति को मुश्किल होती है। अच्छे माहौल में मामूली कर्मचारी की भी काम करने की शक्ति बढ़ जाती है, जबकि बुरे महौल में काम करने वाले की शक्ति घट जाती है।


तहजीब (culture) कभी नीचे से ऊपर की ओर नहीं जाती है बल्कि वह हमेशा ऊपर से नीचे की ओर आती है। हमें पीछे मुड़ कर देखना चाहिए कि हमने खुद के लिए और अपने आसपास के लोगों के लिए कैसा माहौल तैयार किया है। बुरे माहौल में लोगों से अच्छे व्यवहार की आशा नहीं की जा सकती। जहाँ कानून का न होना ही कानून बन जाता हो, वहाँ ईमानदार नागरिक भी चोर उचक्के और बेईमान हो जाते हैं।


कुछ समय निकाल कर इस बात का गौर कीजिए कि हमारा माहौल हम पर कैसे असर डालता है, और हम जो माहौल तैयार करते हैं, वह दूसरों पर कैसे असर डालता है?










  2. शिक्षा (Education)


शिक्षा औपचारिक (formal), और अनौपचारिक (informal), दोनों तरह की होती है। आजकल हमलोग सूचनाओं के सागर में गोते लगा रहे हैं, लेकिन ज्ञान और समझदारी का अकाल पड़ा हुआ है। ज्ञान को योजनाबद्ध ढंग से समझदारी में बदला जा सकता है, और समझदारी हमें कामयाबी दिलाती है। शिक्षक की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण होती है। उसका प्रभाव अनंत काल


(elemity) तक रहता है। इसके असर की लहरें अनगिनत हैं।


शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो हमें केवल रोजी-रोटी कमाना नहीं बल्कि जीने


का तरीका भी सिखाए। क्या सही हैं क्या गलत हैं इसे हमे पहचाना आना चाहिए।  गलत शिक्षा हमेशा लोगो का नाजिरया को खराब कर देगा और हमारा शिक्षा हम पर भी बुरा प्रभाव डालेगा ।













3.तज़रबा (Experience)


अलग-अलग लोगों से मिले तजरबे के मुताबिक हमारा व्यवहार भी बदल जाता


है। अगर किसी इंसान के साथ हमें अच्छा अनुभव मिलता है, तो उसके बारे में


हमारा नजरिया अच्छा होता है, पर बुरा अनुभव मिलने पर हम सावधान हो जाते


है। अनुभव और घटनाएँ हमारी ज़िंदगी के संदर्भ बिंदु (reference point) बन


जाते हैं। हम उनसे नतीजे निकालते हैं, जो भविष्य के लिए मार्गदर्शन (guidelines)


की भूमिका निभाते हैं














नकारात्मक नज़रिए के नतीजे THE CONSEQUENCES OF A NEGATIVE ATTITUDE


जिंदगी की राह रुकावटों से भरी पड़ी है, और अगर हमारा नजरिया नकारात्मक हो, तो अपने लिए सबसे बड़ी रुकावट हम ख़ुद बन जाते हैं। नकारात्मक नज़रिए वाले लोगों के लिए दोस्ती, नोकरी, शादी और संबंधों को कायम रख पाना काफी मुश्किल होता है। नकारात्मक नज़रिए की वजह से


• संबंधों में कड़वाहट बढ़ती है


• लोग नाराज रहते हैं


. हर कम को टालते रहना


• जिंदगी बेमकसद हो जाती है।


• सेहत खराब रहती है।


• खुद के लिए और दूसरों के लिए तनाव बढ़ाता है


नकारात्मक नज़रिए की वजह से घर और कामकाज की जगह का माहौल बिगड़ जाता है। ऐसा आदमी समाज के लिए बोझ बन जाता है। ये लोग अपने नकारात्मक नजरिए को छुआछूत रोग की तरह अपने आसपास के लोगों और आने वाली पीढ़ियों तक फैला देते हैं।


अपने नकारात्मक नज़रिए से वाकिफ़ होने के बावजूद हम


उसे बदलते क्यों नहीं हैं?















सकारात्मक नज़रिए के फ़ायदे THE BENEFITS OF A POSITIVE ATTITUDE


सकारात्मक नजरिए के कई फायदे होते हैं। इन्हें आसानी से देखा जा सकता है। लेकिन आसानी से दिखाई देनी वाली चीज को उतनी ही आसानी से अनदेखी भी कर दिया जाता है।


सकारात्मक नज़रिया


आपके लिए फायदेमंद


शसियत खुशनुमा हो जाती है। • जोश पैदा होता है


• ज़िंदगी का आनंद बढ़ जाता है।


आपके अगल-बगल के लोगों को प्रेरणा मिलती है आप समाज में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले सदस्य, और राष्ट्र की संपत्ति बन जाते हैं ।


संस्थाओं के लिए-


उत्पादकता बढ़ जाती है।


• टीमभावना बढ़ती है।


● समस्याएँ हल हो जाती है


• गुणवत्ता (quality) बढ़ जाती है माहौल आपके मुताबिक बनता है


• बफादारी बढ़ती


लाभ ज्यादा मिलता है


• मालिक, कर्मचारी और ग्राहक के बीच बेहतर संबंध बनते हैं


• तनाव कम होता है।














सकारात्मक नज़रिए वाले लोगों को कैसे पहचानें? HOW DO YOU RECOGNISE PEOPLE WITH A POSITIVE ATTITUDE? 


जिस तरह सेहत खराब न होने का मतलब अच्छी सेहत नहीं होता, उसी तरह


किसी इंसान के नकारात्मक (negative) न होने का मतलब यह नहीं होता कि वह


सकारात्मक (positive) है।


सकारात्मक नजरिए वाले लोगों की शख्सियत (personality) में कुछ ऐसी खासियतें होती हैं, जिनकी वजह से उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसे लोग दूसरों का ख्याल रखने वाले, आत्मविश्वास से भरे, धीरज वाले और विनम्र होते हैं। ये लोग खुद से, और दूसरों से काफी ऊँची उम्मीदें रखते हैं, उन्हें अच्छे नतीजे हासिल होने की आशा रहती है।


सकारात्मक नजरिए वाला आदमी हर मौसम में फलने वाले (बारहमासी फल) जैसा होता है। उसका हमेशा स्वागत किया जाता है।














WHEN WE BECOME AWARE OF OUR NEGATIVE ATTITUDE, WHY DON'T
WE CHANGE?


इंसान का स्वभाव आम तौर पर बदलाव विरोधी होता है। हमें बदलाव तकलीफ़देह लगता है। बदलाव का नतीजा अच्छा हो, या बुरा, पर अकसर इससे तनाव बढ़ता है। कई बार हम अपनी बुराईयों (negativity) के साथ जीने में


इतना आराम महसूस करते हैं कि बेहतरी के लिए होने वाले बदलावों को भी कबूल नहीं करना चाहते। हम बुरे ही बने रहना चाहते हैं।


चार्ल्स डिकेंस (Charles Dickens) ने एक ऐसे कैदी के बारे में लिखा है, जो सालों तक एक काल कोठरी में कैद रहा। सजा काट लेने के बाद उसे आज़ाद कर दिया गया। उसे काल कोठरी से बाहर खुली धूप में लाया गया। उस आदमी ने अपने चारों ओर देखा। कुछ देर में ही वह अपनी इस नई आजादी से परेशान हो गया। उसने वापस काल कोठरी में जाने की इच्छा जाहिर की। वह आज़ादी और खुली दुनिया के बदलावों को बदलने कर  बजाए काल कोठारी, अंधेरे और हथकड़ियों में ही सुरक्षा और आराम महसूस कर रहा था, क्योंकि वह उन्हीं का आदी हो चुका था।


इन दिनों भी कई कैदी ऐसा ही व्यवहार करते हैं। एक अंजाने संसार के साथ तालमेल कायम करने का तनाव उनकी बर्दाश्त से बाहर होता है; इसलिए वे जानबूझ कर और अपराध करते हैं, ताकि उन्हें वापस जेल में भेज दिया जाए। वहाँ उनकी आज़ादी पर भले ही पाबंदी रहती हो, लेकिन उन्हें अपने बारे में कम फैसले लेने पड़ते हैं।


अगर हमारा नज़रिया नकारात्मक है, तो हमारी जिंदगी सीमाओं में कैद है। ऐसे नजरिए की वजह से हमको अपने काम में सीमित कामयाबी ही मिल सकेगी। हमारे दोस्तों की तादाद कम होगी, और हम जिंदगी का कम आनंद उठा पाएँगे। अगले अध्याय (Chapter) में मैं सकारात्मक नजरिया विकसित करने के तरीकों के बारे में चर्चा करूँगा। हो सकता है कि सकारात्मक नजरिया विकसित करने के लिए हमको थोड़ा तनाव झेलना पड़े, और बदलाव की वजह से अनिश्चितता सी महसूस हो, पर यकीनन, हमें इसका लाभ मिलेगा।














कार्य योजना (ACTION PLAN)


सपने तो दर्जनों हैं पर अहमियत इस बात की है कि उन्हें अमल में कैसे लाया जाता है।


इन कुछ सवालों का जवाब दे ?


1. यदि आप लोगों से कुछ अलग काम करना चाहते हैं तो आप क्या करेंगे??


2. यदि आपको कुछ काम को समय पर पुरा करवाना हो तो आप क्या करेंगे??


3. आप अपने जिंदगी में कब तक नहीं हर सकते ???


4.यदि कोई काम में आप बार बार हार रहे हो तो आपको क्या करना चहिए??


5. यदि कोई आपको बोल रहा हैं की आप इस काम को नहीं कर सकते हो तो आपको क्या करना चाहिए?


इन सवालों के जवाब कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करे।